tag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post2619153347404772469..comments2023-10-19T08:37:00.697-07:00Comments on एहसासात... अनकहे लफ्ज़.: द्रौपदीS.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')http://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-886313817263138982011-12-11T21:30:19.064-08:002011-12-11T21:30:19.064-08:00Droupadi ko to waise bhi apraadhbodh nahi hona cha...Droupadi ko to waise bhi apraadhbodh nahi hona chahiye tha... Droupadi ne to tab bahut sahanshakti dikhai, bhala aaj ke waqt mei koi kisi naari ko itna daba leta???<br />khair... droupadi ki sahanshakti laajawaab thi, aur use apraadhbodh karaya gaya tha...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-12216058779570254802011-12-09T04:17:55.096-08:002011-12-09T04:17:55.096-08:00एक अलग आयाम प्रस्तुत करती कविता।
सादरएक अलग आयाम प्रस्तुत करती कविता। <br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-51450781424185868532011-06-02T02:21:53.939-07:002011-06-02T02:21:53.939-07:00द्रौपदी के पात्र के माध्यम से समाज के कई प्रश्न उठ...द्रौपदी के पात्र के माध्यम से समाज के कई प्रश्न उठाती हुई लाजवाब रचना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-40258911200978122992011-05-30T21:16:19.492-07:002011-05-30T21:16:19.492-07:00गहन चिंतन ..
अनुत्तरित प्रश्न....
लेकिन आपकी मीमंस...गहन चिंतन ..<br />अनुत्तरित प्रश्न....<br />लेकिन आपकी मीमंसा ने सुकून पंहुचाया...<br /><br />हजारों कारणों में से द्रोपदी भी केवल एक कारण रही है...पूर्ण रूप से केवल वो ही कारण थी माहाभारत के युद्ध के लियें ऐसा माना नहीं जा सकता...<br /><br />आभार हबीब जी....गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-25150892529824316762011-05-30T10:02:46.769-07:002011-05-30T10:02:46.769-07:00इसलिए... द्रौपदी !!!
तुम स्वयम को मुक्त करो इस अपर...इसलिए... द्रौपदी !!!<br />तुम स्वयम को मुक्त करो इस अपराधबोध से...<br />क्योंकि जब तक<br />इस कापुरुष मानसिकता का विनाश नहीं होता<br />कुरुक्षेत्र बनते रहे है, और बनते भी रहेंगे....<br /><br /><br />सशक्त कविता .....<br />दो तो पढ़ चुकी हूँ ....<br />तीसरी पढने जा रही हूँ ....<br />द्रौपदी को याद करने की कोई ख़ास वजह ......?हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-40124315013295648182011-05-29T05:57:50.911-07:002011-05-29T05:57:50.911-07:00गौरव का प्रणाम स्वीकार करें...
कुरुक्षेत्र की नीं...गौरव का प्रणाम स्वीकार करें...<br /><br />कुरुक्षेत्र की नींव थे<br />काल को जीत लेने वाले<br />भीष्म, कृपाचार्य, द्रोणाचार्य के आँखों की पट्टियां,<br />पट्टियां... जो उन्होंने स्वयं बाँध रखे थे<br />अपने त्रिकाल दर्शी नेत्रों पर... गांधारी की तरह..<br />द्रौपदी !!!<br />तुम स्वयम को मुक्त करो इस अपराधबोध से...<br />क्योंकि जब तक<br />इस कापुरुष मानसिकता का विनाश नहीं होता<br />कुरुक्षेत्र बनते रहे है, और बनते भी रहेंगे....<br /><br />वाकई इन पंक्तियों के बाद आपने कुछ भी कहने हेतु स्थान शेष नहीं छोड़ा है अतः इस बेहतरीन एवं सार्थक पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें |<br />आदरणीय संगीता स्वरूप जी एवं रश्मि प्रभा जी को भी सार्थक चिंतन हेतु सादर आभार...<br /> ****************गौरव शर्मा "भारतीय"https://www.blogger.com/profile/08677836318252485179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-13329723749498235492011-05-29T02:51:40.479-07:002011-05-29T02:51:40.479-07:00एक ही विषय पर यह विचार विमर्श मन को सुकून देता हु...एक ही विषय पर यह विचार विमर्श मन को सुकून देता हुआ सा ...<br /><br />रश्मि जी ने सही कहा है ..किसी भी व्यक्तित्व का निर्णायक कोई एक काल कोई एक व्यक्ति नहीं होता ...<br /><br />बहुत अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-30179007748123456502011-05-28T03:05:10.172-07:002011-05-28T03:05:10.172-07:00कुरुक्षेत्र की नींव थे
काल को जीत लेने वाले
भीष्म,...कुरुक्षेत्र की नींव थे<br />काल को जीत लेने वाले<br />भीष्म, कृपाचार्य, द्रोणाचार्य के आँखों की पट्टियां,<br />पट्टियां... जो उन्होंने स्वयं बाँध रखे थे<br />अपने त्रिकाल दर्शी नेत्रों पर... गांधारी की तरह..<br /> द्रौपदी !!!<br />तुम स्वयम को मुक्त करो इस अपराधबोध से...<br />क्योंकि जब तक<br />इस कापुरुष मानसिकता का विनाश नहीं होता<br />कुरुक्षेत्र बनते रहे है, और बनते भी रहेंगे....<br />........ क्रमशः याज्ञसेनी, द्रौपदी उवाच और द्रौपदी की धार में बहते हुए मैंने जाना यह प्रश्न अनुत्तरित नहीं , व्याख्या और गुबार सब अवतरित हुए द्रौपदी के लिए . किसी भी व्यक्तित्व का निर्णायक कोई एक काल कोई एक व्यक्ति नहीं होता ..... अपना नजरिया होता है. कहीं बेबस प्रश्न होते हैं कहीं जयघोष कहीं आक्रोशित उत्तर ,रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-42707518574265483312011-05-28T02:58:16.645-07:002011-05-28T02:58:16.645-07:00bat ateet se shuru hui aur mahatvpoorn kshetron k...bat ateet se shuru hui aur mahatvpoorn kshetron ko chhooti hui vartman men khatm hui ,,<br />waah !!!!<br />bahut sarthak rachna !!!<br />jab tak draupadi khud ko ghalat manti rahegi tab tak har samay aur sthan par use hi ghalat siddh kiya jata rahega ,,,apni sthiti ko use hi sudrudh banana hoga .<br />umda rachna ke liye badhai.इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-49105075489031671052011-05-28T02:19:44.751-07:002011-05-28T02:19:44.751-07:00द्रौपदी के बहाने आपने बहुत कुछ कह दिया। बधाई।
---...द्रौपदी के बहाने आपने बहुत कुछ कह दिया। बधाई।<br /><br />---------<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।</a><br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?</a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4338182847571174966.post-85941184602101132922011-05-28T01:02:07.199-07:002011-05-28T01:02:07.199-07:00"क्योंकि जब तक
इस कापुरुष मानसिकता का विनाश..."क्योंकि जब तक <br /><br />इस कापुरुष मानसिकता का विनाश नहीं होता <br /><br />कुरुक्षेत्र बनते रहे हैं , और बनते रहेंगे "<br /><br />...........................द्रौपदी के बारे में एक सकारात्मक चिंतन , नारी की स्थिति की गहन मीमांसा <br /><br />..........स्वार्थ में डूबे समाज को आईना दिखाती यथार्थ भावभूमि की बेबाक रचनासुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.com